New Parliament Inauguration: 'नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

New Parliament Inauguration: सुप्रीम कोर्ट ने आज (26 मई) राष्ट्रपति द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नई संसद का उद्घाटन करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा, "ऐसी याचिका दायर करने के लिए हम आप पर जुर्माना क्यों न लगाएं?" याचिका सीआर जयसुकिन नाम के एक वकील ने दायर की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख हैं और इसलिए उद्घाटन उनके द्वारा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम इस मामले में दखल नहीं देना चाहते। यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें कोर्ट को दखल देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यकारी प्रमुख (प्रधानमंत्री) संसद का सदस्य होता है। संवैधानिक प्रमुख (राष्ट्रपति) संसद का हिस्सा होता है। हम याचिका खारिज करने जा रहे हैं।
इसके बाद अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 'अगर याचिका वापस लेने की इजाजत दी जाती है तो वह हाईकोर्ट जाएगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह हाईकोर्ट जाएंगे। वकील की ओर से कहा गया, नहीं। इसके बाद जज ने याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी।
याचिका तमिलनाडु के एक वकील ने दायर की थी
याचिकाकर्ता का नाम सी. आर. जयसुकिन है। पेशे से वकील जयसुकिन तमिलनाडु के रहने वाले हैं। वह जनहित याचिकाएं दायर करते रहते हैं। उनकी याचिका में कहा गया है कि देश के संवैधानिक प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं। सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम से लिए जाते हैं। राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार राष्ट्रपति भी संसद का अभिन्न अंग है। लोकसभा सचिवालय द्वारा उनसे उद्घाटन नहीं कराने का फैसला गलत है।
याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति संसद का सत्र बुलाते हैं। अनुच्छेद 87 के तहत, उसका संसद में अभिभाषण होता है, जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करता है। संसद द्वारा पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही कानून बनते हैं। इसलिए राष्ट्रपति को संसद के नए भवन का उद्घाटन करना चाहिए।